नास्ति जातु रिपुर्नाम, मित्रं नाम न विद्यते । व्यवहाराच्च जायन्ते, मित्राणि रिपवस्तथा ॥ कभी कोई जन्म से शत्रु नही होता नाही कोई जन्म से मित्र, हम अपने व्यवहार से ही मित्र ओर शत्रु दोनो बनते है। 🙏 मङ्गलं सुप्रभातं नमो नमः 🙏
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हे नव विहान के सूत्रधार! भवसागर-नौ के कर्णधार ! हे दिव्यज्योति!हे प्रखरधाम! हे विश्वरूप!शत-शत प्रणाम ।। भद्रा अश्वा हरित:सूर्यस्य चित्रा एतग्वा अनुमाद्यास: । नमस्यन्तो दिव आ पृष्ठमस्थु: परि द्यावापृथिवी यन्ति सद्य:।। अर्थ:- "सूर्यका यह रश्मिमण्डल अश्वके समान उन्हें सर्वत्र पहुंचानेवाला चित्र-विचित्र और कल्याणरूप है।यह प्रतिदिन अपने पथ पर ही चलता है और अर्चनीय तथा वन्दनीय है,यह सबको नमता है,नमन की प्रेरणा देता है और स्वयं द्युलोक के ऊपर निवास करता है,यह तत्काल द्युलोक और पृथ्वीका परिभ्रमण कर लेता है,भगवान् सूर्य देव एवं सूर्य मण्डल को बार-बार प्रणाम है। 🌹🙏 मङ्गलं सुप्रभातं नमो नमः🙏🌹
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